GHATAK UCAV

GHATAK UCAV: CCS मंजूरी के बिना IAF की रणनीति पर संकट!

भारत की स्वदेशी स्टील्थ(Stealth)ड्रोन तकनीक का आधार GHATAK UCAV (घाटक मानवरहित लड़ाकू हवाई वाहन) परियोजना को अभी तक कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) की मंजूरी नहीं मिली है। डीआरडीओ(DRDO) के अधीन एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट (ADE) द्वारा विकसित यह 13 टन का स्टील्थ यूसीएवी, जिसमें 1.5 टन हथियार भंडार और कावेरी इंजन का सूखा संस्करण है, गहरे हमले, दुश्मन की वायु रक्षा को दबाने (SEAD), और खुफिया संग्रह के लिए डिज़ाइन किया गया है। 2022 में स्विफ्ट डेमो की उड़ान के बावजूद, पूर्ण प्रोटोटाइप की पहली उड़ान 2025-26 में और IAF में शामिल होने की संभावना 2030 के अंत तक है।

CCS की देरी और 15,000 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत परियोजना को 2030 से आगे धकेल रही है, जिससे IAF की क्षमता पर सवाल उठ रहे हैं। जनवरी 2025 तक IAF के पास 31 स्क्वाड्रन हैं, जबकि 42 की मंजूर ताकत के मुकाबले कमी है। GHATAK UCAV की देरी से स्टील्थ ड्रोन की कमी, आयात पर निर्भरता, और चीन-पाकिस्तान के खिलाफ रणनीति कमजोर होगी। X पर यूजर्स ने नौकरशाही देरी और तकनीकी प्रदर्शन पर चिंता जताई है।

IAF को 150 GHATAK UCAV (8-9 Squadron) की जरूरत है, लेकिन बिना मंजूरी के यह परियोजना रणनीतिक जोखिम बढ़ा रही है। तत्काल फंडिंग और तकनीकी समाधान जरूरी हैं ताकि IAF अपनी Network-Centric रणनीति को मजबूत कर सके।

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