DRDO Develops 5.56×45 mm CQB Carbine, with a private firm, is the top pick in the Indian Army’s bid for 4 lakh carbines. Ideal for close combat, it supports India’s ‘#AtmanirbharBharat’ push.
रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने निजी क्षेत्र की एक कंपनी के साथ मिलकर 5.56×45 मिमी क्लोज-क्वार्टर बैटल (CQB) कार्बाइन विकसित की है, जिसे भारतीय सेना के 4 लाख से अधिक कार्बाइनों की खरीद के टेंडर में सबसे कम बोली लगाने वाला (L1) चुना गया है। DRDO ने सोमवार को यह जानकारी दी। यह कार्बाइन आयुध अनुसंधान और विकास प्रतिष्ठान (ARDE) द्वारा डिज़ाइन और विकसित की गई है, जो “आत्मनिर्भर भारत” के तहत स्वदेशी रक्षा प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देती है।
DRDO ने X पर घोषणा की, “महत्वपूर्ण रूप से #आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देते हुए, ARDE, DRDO द्वारा विकसित 5.56×45 मिमी CQB कार्बाइन को भारतीय सेना के प्रस्ताव अनुरोध (RFP) में L1 चुना गया है।” भारतीय सेना लंबे समय से इन कार्बाइनों की खरीद की कोशिश कर रही थी, लेकिन टेंडर रद्द होने के कारण प्रगति नहीं हो सकी थी। यदि यह टेंडर अंतिम रूप लेता है, तो यह भारतीय डिज़ाइन और निर्मित छोटे हथियारों के लिए सबसे बड़े अनुबंधों में से एक होगा।
कार्बाइन की खासियत: निजी क्षेत्र की साझेदारी में विकसित यह कार्बाइन हल्की, कॉम्पैक्ट और शहरी युद्ध व काउंटर-आतंकवाद मिशनों के लिए डिज़ाइन की गई है। यह 5.56×45 मिमी NATO-मानक गोला-बारूद का उपयोग करती है, जो उच्च सटीकता और विश्वसनीयता प्रदान करती है। साझेदार कंपनी का नाम अभी सार्वजनिक नहीं किया गया है।
क्वांटम प्रौद्योगिकी में सफलता: एक अन्य विकास में, DRDO ने 17 जून 2025 को IIT दिल्ली के DRDO-इंडस्ट्री-एकेडमिया सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (DIA-CoE) के माध्यम से फ्री-स्पेस क्वांटम सुरक्षित संचार का प्रदर्शन किया। क्वांटम उलझन (Quantum Entanglement) पर आधारित यह प्रयोग 1 किमी से अधिक दूरी पर किया गया, जिसमें 240 बिट्स प्रति सेकंड की सुरक्षित कुंजी दर और 7% से कम क्वांटम बिट त्रुटि दर हासिल की गई। यह लंबी दूरी के क्वांटम की डिस्ट्रीब्यूशन (QKD) और भविष्य के क्वांटम इंटरनेट की दिशा में एक कदम है।
प्रो. भास्कर कंसेरी के शोध समूह ने यह प्रदर्शन IIT दिल्ली कैंपस में DRDO के वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में किया। यह परियोजना डायरेक्टोरेट ऑफ फ्यूचरिस्टिक टेक्नोलॉजी मैनेजमेंट (DFTM) द्वारा प्रायोजित थी।
यह दोहरी उपलब्धि—CQB कार्बाइन और क्वांटम संचार—भारत की रक्षा और प्रौद्योगिकी क्षमताओं को दर्शाती है। विशेषज्ञों का कहना है कि कार्बाइन का अनुबंध सेना की तत्काल जरूरतों को पूरा करेगा और रक्षा निर्यात को बढ़ावा दे सकता है। हालांकि, समय पर डिलीवरी और उत्पादन क्षमता महत्वपूर्ण होगी। X पर यूजर्स ने इसे “स्वदेशी रक्षा का मील का पत्थर” बताया है।र SAG, डायरेक्टर DFTM, डीन (R&D) IIT दिल्ली, और DRDO वैज्ञानिक शामिल थे। यह परियोजना डायरेक्टोरेट ऑफ फ्यूचरिस्टिक टेक्नोलॉजी मैनेजमेंट (DFTM) द्वारा प्रायोजित थी।
Source: ANI
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